ईडी और मोदी सरकार ।

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 वर्तमान मोदी सरकार पर विपक्षी दलों का आरोप ई डी का सरकार द्वारा दुरूपयोग किया जा रहा है कितना सही है इस विषय पर विश्लेषण करने की आवश्यकता है। भारतीय राजनीति में पिछले 75 सालों में सरकारों की नीति ,नैतिकता और सामाजिक दायित्व निर्वहन का सिंहावलोकन करने पर कई तथ्य सामने आते हैं। ई डी का गठन आर्थिक अपराध के मामलों,कालांतर में ईडी की शक्तियों और अधिकारों में वृध्दि हुई। 2004 से 2014 तक ईडी ने जितनी कार्रवाई की उससे कई गुना अधिक सक्रियता 2014 से 2023 तक की। इस कार्रवाई में कई राजनीतिक दलों के नेताओं, मंत्रियों , प्रशासनिक अधिकारियों, व्यापारियों की मिली भगत सामने आयी। इनके गठबंधन को ही शायद सिस्टम कहा जाता है। शासन, प्रशासन और अपराधियों का सम्बंध । 

गौर तलब बात यह है कि ई डी की कार्रवाई पिछले कई सालों से चल रही है, जैसे जैसे सूत्र मिलते गये छानबीन में नये नाम जुड़ते चले गये। राजनीतिक दल कांग्रेस,आप, जे एम एम,टी एम सी, नेशनल कांफ्रेंस, बसपा, राजद, सी पी आई, वगैरह वगैरह आरोप लगा रहें हैं कि एन डी ए की सरकार के मुखिया ईडी का दुरुपयोग कर रहे हैं,विपक्षियों को खोजा जा रहा है। इनके इस प्रलाप के पीछे का लक्ष्य क्या है। क्या सचमुच ईडी का दुरुपयोग किया जा रहा है या विपक्षी दलों द्वारा अपने आर्थिक सहयोगी नेताओं को बचाने की योजना का एक हिस्सा है ईडी पर प्रत्यारोप? 

कॉमन वेल्थ खेल घोटाला 2010, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला 2011 ईडी द्वारा तमिलनाडु के नेता राजा पर कार्रवाई ,अगस्तवेस्टलैंड घोटाला 2013 पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंथोनी पर कार्रवाई, आई इन एक्स मीडिया केस 2017 पूर्व वित्तमंत्री पी चिदम्बरम का हाथ आरोप धन शोधन, कांग्रेस नेता स्वर्गीय अहमद पटेल पर ध शोधन, भ्रष्टाचार में संलिप्तता का आरोप, पीएनबी घोटाला  2018 ईडी ने नीरव मोदी, निशाल मोदी और मेहुल चौकसी हीरा व्यापारियों पर कार्रवाई की, इनको विपक्षियों द्वारा शाषित समय में ही बैंक ने कर्ज की सुविधा दी थी। अगस्तवेस्टलैंड वी वी आई पी चॉपर घोटाला 2019 में कई नेता,अधिकारी,व्यापारी आरोपित हैं। विजय माल्या को यू पी ए सरकार के कार्यकाल में बैंक से ऋण मिला, महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक घोटाले में शरद पवार पर धन शोधन का आरोप है,आप सरकार के दिल्ली शराब घोटाले के तार बीएसआर के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता तक जुड़े, टी एम सी प्रमुख मुख्यमंत्री बंगाल ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी की प्राथमिक शिक्षक घोटाले में संलिप्तता की जांच जैसे मामलों की लिस्ट काफी लंबी है। आरोपित व्यक्तियों से जुड़े राजनीतिक दल अपनी साख बचाने और अपने लोगों को बचाने के लिये योजनाबद्ध रूप से अभियान चला रहे हैं। इसी अभियान का हिस्सा है ईडी की कार्रवाई के लिये मोदी को जिम्मेदार ठहराना। पर यह विपक्षी दल अपनी याददाश्त पर जोर डालें तब उन्हें मोदी द्वारा अनुशासित रूप से गोधराकांड में जाँच एजेंसियों के सामने उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने की घटना से प्रेरणा लेनी चाहिये। अमित शाह को तड़ीपार घोषित किस राजनीतिक दल ने करवाया? क्यों करवाया? हाल की घटना झारखंड की है जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सेना की जमीन को हेराफेरी कर बेचने में संलिप्त लोगों का साथी पाया गया, झारखंड में पत्थर लूट, कोयला लूट, नकली शराब निर्माण, शराब नीति जैसे कई मुद्दे हैं। विपक्षी दलों की सरकारों ने जनता की सेवा को दरकिनार कर आर्थिक लूट का अभियान चला रखा है जिसकी जांच स्वाभाविक रूप से उन्हें पसंद नहीं है।

हाल में ईडी ने जिन नेताओं मंत्रियों अधिकारियों के यहाँ छापा मारा उनमें आप नेता राज कुमार आनन्द, विधायक कुलवंत सिंह दिल्ली पंजाब शराब घोटाला, झारखंड के कांग्रेसी मंत्री के पुत्र रोहित उरांव मनी लांड्रिंग एक्ट, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसरा विदेशी मुद्रा अधिनियम, पश्चिम बंगाल में मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक पी डी एस घोटाला, छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल महादेव एप के माध्यम से अवैध धन शोधन का मामल, विधायक अमानुल्लाह खान मनी लांड्रिंग केस में भूमिका , लालू यादव ,राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव को रेल में नौकरी के बदले जमीन, बंगाल का शारदा घोटाला जिसमें ईडी की कार्रवाई के चलते निवेशकों को दस हजार करोड़ रुपये वापस मिलेईडी की कार्रवाई का पूरा विवरण देखने के बाद पता चलता है कि अपराध करने वाले व्यक्तियों के बारे में जाँच की कार्रवाई की जा रही है और यह सब लोग विभिन्न राजनीतिक दलों से संबद्ध हैं ,कोई केंद्रीय मंत्री विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री के पद पर रहे, कोई भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी रहा कोई व्यापारी और कोई दलाल की भूमिका में रहा।

दरअसल अपराधी प्रवृत्ति के लोग राजनीतिक दलों में शामिल होकर पद प्राप्त कर लिये ,कुछ लोग भ्रष्ट सिस्टम की चकाचौंध से आकर्षित हो राजनीतिक पद का दुरुपयोग करने के लिये लालायित हुये, अब पकड़े जाने पर जांच का सामना करने के बजाये राजनीतिक छतरी का उपयोग कर जांच एजेंसियों पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं। इन्हें संरक्षण देने में राजनीतिक दलों को आर्थिक लाभ है इसलिये संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाये जा रहे हैं।

नरेंद्र मोदी  भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने, समाप्त करने की अपनी सरकार की नीति को प्राथमिकता के आधार पर कार्यन्वित करने के प्रयास में लगे रहे। राजनीतिक,प्रशासनिक, सामाजिक स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म करने और भ्रष्टाचार करने वालों को उनके अपराध की सजा दिलाने का कदम उठाया जा रहा है जिससे स्वच्छ राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक वातावरण को और सुदृढ किया जा सके और देश की छवि को भ्रष्टाचार के कलंक से मुक्त किया जा सके।

इस देश में घोटालों की लंबी फेहरिस्त है, अंतर यह कि पहले ईडी की जांच को प्रभावित किया जाता था, घोटाले होते थे, पकड़े जाते थे पर सजा अधिकतर संरक्षणहीन लोगों को। 

अब ईडी पर दबाव बनाने किसी को बचाने की पुरानी रीति का पालन मोदी की सरकार की नीति नहीं रही।

  भ्रष्टाचार , अपराध, धोखाधड़ी करने वाले बीजेपी के संगठन पदाधिकारी, विधायक भी सी बी आई, ईडी की कार्रवाई का सामना कर रहे बड़े नामों में मध्यप्रदेश के पूर्व शिक्षामंत्री व्यापम घोटाले में संलिप्त लक्ष्मीकांत शर्मा, हत्या, हत्या के लिए उकसाने के मामले में यूपी विधायक कुलदीप सेंगर,मुंबई बीजेपी महामंत्री मोहित कम्बोज बैंक घोटाले में, पीबीएस सरमा उपाध्यक्ष सूरत बीजेपी धोखाधड़ी मामले में,गली जनार्दन रेड्डी कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में अवैध लौह अयस्क खनन,सांसद दुष्यंत सिंह विदेशी मुद्रा हेराफेरी मामले में हैं।

ऐसे में विपक्षी दलों द्वारा  मोदी पर विपक्षी दलों के नेताओं, विधायकों ,मंत्रियों का विरोध करने के लिये ईडी के उपयोग का आरोप टिकता नहीं है।

विपक्षियों द्वारा एक जुट होकर गठबंधन बनाना, राजनीतिक एकजुटता द्वारा आरोपी नेताओं को संरक्षण देना था क्या? चुनाव से ठीक पहले विपक्षियों द्वारा ईडी की कार्रवाई के लिये मोदी को जिम्मेदार ठहराने का कारण क्या है? क्या भारतविरोधी विदेशी गुटों के मोहरे बन गये कुछ लोगों से विपक्षियों को पर्दे के पीछे से समर्थन मिल रहा है?]

दोषी नेताओं, अधिकारियों ने अपनी शक्तियों और पद का दुरुपयोग कर अथाह अवैध सम्पतियों का अर्जन किया जिस उनका अधिकार नहीं था। आरोपी नेतागण , अपना पक्ष रख कर कानून की प्रक्रिया का पालन करते हुये सहयोग क्यों नहीं करना चाहते? 

कानून जितनी आसानी से सामान्य व्यक्ति पर कार्रवाई करता है उतनी ही तेजी से रसूखदार आरोपी पर कार्रवाई करने से क्यों कतराता है? क्या जनप्रतिनिधियों को प्राप्त विशेषाधिकार का यह दुरुपयोग नहीं है? क्या  जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार पर पुनरावलोकन करने की आवश्यकता है? 

राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा आर्थिक घोटालों पर अंकुश लगाने के मोदी सरकार के प्रयासों का विरोध करने वाले  राजनीतिक दल ,उनके नेता  क्या भ्रष्टाचार को अपराध नहीं मानते? 

देश में हाल के सांस्कृतिक घटनाक्रम का प्रभाव , मोदी सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं की लोकप्रियता, किसानों, मजदूरों, छात्रों, युवाओं,महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों एवम  उद्यमियों में वर्तमान सरकार के प्रति उत्साहपूर्ण से घबराकर विपक्षियों ने अपने हितों की रक्षा के लिये मोदी और ईडी पर आक्रमकता की नीति अपनायी है या कहीं मोदी के भ्रष्टाचार उन्मूलन अभियान के विरोध के पीछे,ईडी की भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई,  कोई देश विरोधी षड्यंत्र तो नहीं?

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