इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नॉनवेज टिफिन के कारण स्कूल से निकाले गए तीन छात्रों को राहत दी

Date:

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने अमरोहा के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया वे सुनिश्चित करे कि तीनो बच्चो को 2 सप्ताह के भीतर किसी अन्य CBSE-संबद्ध स्कूल में दाखिला दिलाया जाए।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमरोहा स्थित एक निजी स्कूल से निकाले गए तीन बच्चों को अंतरिम राहत प्रदान की, क्योंकि वे कथित तौर पर दोपहर के भोजन में मांसाहारी भोजन लेकर स्कूल आए थे।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने अमरोहा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि तीनों बच्चों का दाखिला दो सप्ताह के भीतर सीबीएसई से संबद्ध किसी अन्य स्कूल में हो।

अदालत ने कहा कि ऐसा न करने पर डीएम को 6 जनवरी को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा।

अदालत ने निर्देश दिया , “प्रतिवादी संख्या 10 जिला मजिस्ट्रेट, अमरोहा को याचिकाकर्ता संख्या 2, 3 और 4 अर्थात मास्टर रिहान खान (नाबालिग), मास्टर शाहबाज खान (नाबालिग) और मास्टर शमी खान (नाबालिग) पुत्र श्री सिराज खान को दो सप्ताह के भीतर सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध किसी अन्य स्कूल में दाखिला दिलाने और इस अदालत के समक्ष अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। इस मामले को इस अदालत के समक्ष 06.01.2025 को नए मामले के रूप में पेश करें। यदि जिला मजिस्ट्रेट, अमरोहा द्वारा कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है, तो वह अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे।”

स्कूल के प्रिंसिपल ने कक्षा 3 में पढ़ने वाले छात्र और उसके दो भाई-बहनों को स्कूल से निकाल दिया, जिनमें से एक किंडरगार्टन में और दूसरा कक्षा 1 में पढ़ता है।

कक्षा 3 के इस लड़के को कथित तौर पर धार्मिक कट्टरपंथी करार दिया गया था और उस पर मंदिरों को नष्ट करने की योजना बनाने का आरोप लगाया गया था।

प्रधानाचार्य ने लड़के की परवरिश पर भी सवाल उठाए, उस पर आरोप लगाया कि वह अपने सहपाठियों से कहता था कि वह उन्हें मांसाहारी भोजन खिलाकर इस्लाम में परिवर्तित कर देगा।

लड़के की मां और स्कूल के प्रधानाचार्य के बीच बातचीत का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद आधिकारिक अधिकारियों ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की। समिति ने बाद में प्रधानाचार्य को दोषमुक्त कर दिया, लेकिन अनुचित भाषा का इस्तेमाल करने के लिए उसे फटकार लगाई।

इसके बाद, मां ने अपने तीन बच्चों के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसमें दावा किया गया कि स्कूल के आचरण ने उनके शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया है।

जहां मां ने आरोप लगाया कि उसके बच्चे को प्रधानाचार्य ने पीटा और एक खाली कमरे में बंद कर दिया, वहीं प्रधानाचार्य ने इन आरोपों से इनकार किया।

याचिका में कहा गया है कि बच्चों की शिक्षा और समाजीकरण में व्यवधान से उनके शैक्षणिक विकास, भविष्य के करियर, वित्तीय प्रगति और व्यक्तिगत विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने राज्य को निर्देश देने की मांग की कि वह छात्रों को पास के वैकल्पिक स्कूल में दाखिला दिलाने की व्यवस्था करे ताकि वे अपनी शिक्षा फिर से शुरू कर सकें।

उन्होंने बच्चों के साथ उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और भेदभाव के लिए स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ उचित कार्रवाई की भी मांग की और मुआवजे की भी प्रार्थना की।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता उमर जामिन पेश हुए।

अदालत मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2025 को करेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

India-Saudi Arabia Relations Have Gained Strategic Depth and Strong Momentum: PM Modi

PM Modi stated that India and Saudi Arabia have...

Death Threat Issued to Baba Siddique’s Son: ‘You’ll Be Killed Like Your Father’

According to the police, the threat email warned that...

India Declares Three-Day State Mourning Following the Passing of Pope Francis”

New Delhi, April 21, 2025 — The Government of...